अयोध्या | (धर्मेंद्र कुमार सिंह) : भगवान राम की पावन जन्मभूमि अयोध्या तीर्थ क्षेत्र ने इस बार एक अनूठे धार्मिक आयोजन की मेजबानी की। यह वह पवित्र भूमि है, जहां जैन धर्म के एक नहीं, बल्कि पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ। इसी ऐतिहासिक नगरी में दिगंबर जैन मंदिर में परम पूज्य आचार्य गुरुदेव चारित्र चक्रवर्ती श्री शांति सागर जी महाराज की मुनि दीक्षा शताब्दी वर्ष और आचार्य पदारोहण शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय भव्य कार्यक्रम का आरंभ हुआ।कार्यक्रम के पहले दिन, 5 अक्टूबर को, परम पूज्य आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज, उनके पट्ट शिष्य आचार्य रत्न श्री वीर सागर जी महाराज, और आचार्य श्री नेमिसागर जी महाराज की मुनि दीक्षा का शताब्दी वर्ष अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया।प्रातःकाल सर्वप्रथम भगवान ऋषभदेव का पूजन-अभिषेक किया गया। इस दौरान देश के कोने-कोने से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी जैन समाज के अनुयायियों ने आकर अपनी भक्ति भावनाएं प्रदर्शित कीं। विश्व शांति की कामना के साथ विशेष शांति धारा का आयोजन किया गया। इसके उपरांत, आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज, वीर सागर जी महाराज, और नेमिसागर जी महाराज का एक बहुत सुंदर विधान संपन्न हुआ।इस पूरे तीन दिवसीय कार्यक्रम की प्रेरणा स्रोत जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी हैं, जिनकी 92वीं जयंती भी इसी अवसर पर मनाई जा रही है। पूज्य माताजी, जिन्होंने मात्र चौथी कक्षा तक शिक्षा ली, उनके द्वारा 500 से अधिक ग्रंथों की रचना की गई है। इस श्रृंखला में अगला मुख्य आयोजन शरद पूर्णिमा को होगा, जब पूरे देश से श्रद्धालु अयोध्या में एकत्रित होंगे।