बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हो रहे निरंतर अत्याचारों और युवा दीपू दास की नृशंस हत्या के विरोध में काशी का संत समाज आज एकजुट होकर सड़कों पर उतरा। काशी संत समाज के बैनर तले आयोजित विशाल पदयात्रा और विरोध सभा के माध्यम से संतों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जोरदार मांग उठाई।रथयात्रा से दशाश्वमेध तक निकला आक्रोश मार्चविरोध प्रदर्शन की शुरुआत रथयात्रा चौराहे से हुई। हाथों में न्याय की मांग वाली तख्तियां लिए संतों ने सनातन धर्म के जयघोष और आक्रोशपूर्ण नारों के साथ पैदल मार्च किया, जो दशाश्वमेध घाट तक पहुँचा। मार्ग भर प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर गहरी नाराजगी जताई।दशाश्वमेध घाट पर हुई विरोध सभादशाश्वमेध घाट पर आयोजित सभा को काशी के प्रमुख संतों ने संबोधित किया। मुख्य रूप से महामंडलेश्वर स्वामी प्रणव चैतन्यपुरी, ब्रह्मचारी दिव्य चैतन्य, स्वामी जितेन्द्रानंद, स्वामी राधवानन्द, स्वामी अनघानंद, स्वामी बालक दास, स्वामी जगदीश्वरानंद दास ने अपने ओजस्वी वक्तव्यों में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की तीखी निंदा की।सभा का संयोजन स्वामी ब्रह्मायानंद द्वारा किया गया, जबकि कुशल संचालन स्वामी सोहम् चैतन्यपुरी ने किया।संतों की एकजुट चेतावनीसंतों ने एक स्वर में कहा कि दीपू दास की हत्या केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे सनातन समाज पर हमला है। उन्होंने भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से बांग्लादेश सरकार पर प्रभावी दबाव बनाने की मांग की, ताकि वहां रहने वाले हिंदुओं के जीवन, सम्मान और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।श्रद्धांजलि और संकल्पसभा के अंत में दीप प्रज्वलित कर दीपू दास को श्रद्धांजलि दी गई तथा उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की गई। संतों ने यह भी संकल्प लिया कि हिंदू समाज की सुरक्षा और अधिकारों के लिए यह आवाज लगातार बुलंद की जाएगी।