
धनबाद:जनआंदोलनों के पुरोधा, तीन बार धनबाद से सांसद रहे तथा देश के सबसे सादगीपूर्ण नेताओं में शुमार रहे कामरेड ए के राय की पुण्यतिथि पर सोमवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जगजीवन नगर स्थित उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया।इस मौके पर निरसा विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि कामरेड राय का पूरा जीवन संघर्ष, ईमानदारी और सेवा की मिसाल रहा। उन्होंने कभी निजी स्वार्थ को प्राथमिकता नहीं दी और जनहित के मुद्दों को ही अपना धर्म समझा। विधायक ने कहा कि आज के जनप्रतिनिधियों को राय दा से सीख लेनी चाहिए कि राजनीति केवल सत्ता नहीं, सेवा का माध्यम हो सकती है।कामरेड ए के राय तीन बार धनबाद से लोकसभा सांसद रहे, लेकिन उन्होंने कभी भी सांसद के तौर पर मिलने वाली पेंशन नहीं ली। जब संसद में सांसदों के वेतन और पेंशन बढ़ाने का बिल लाया गया, तो राय दा ने इसका कड़ा विरोध किया। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि जनता हमें सेवा के लिए चुनती है, न कि आराम के लिए। ऐसे में जनता की गाढ़ी कमाई से हमें पेंशन लेना नैतिक रूप से गलत है।उनकी इस सोच का संसद में जमकर विरोध भी हुआ, लेकिन राय दा अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे। कहा जाता है कि पूरे सदन में सिर्फ एक सांसद ने उनका समर्थन किया। इतना ही नहीं, चुनाव हारने के बाद जब उन्हें पेंशन लेने का विकल्प मिला, तब भी उन्होंने इसे ठुकरा दिया। उनके निधन तक उनकी पेंशन राशि राष्ट्रपति कोष में जाती रही।कामरेड ए के राय का जीवन समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए समर्पित रहा। उन्होंने मजदूरों, कोयला खनिकों और गरीब तबकों के हक के लिए संघर्ष किया। जीवनभर उन्होंने सादगीपूर्ण जीवन जीते हुए समाजवाद की सच्ची मिसाल पेश की।पुण्यतिथि के इस अवसर पर स्थानीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वामपंथी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। सभी ने कामरेड राय के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।