धनबाद। शहर में दुर्गा पूजा की दशमी पर मां दुर्गा की विदाई के अवसर पर पारंपरिक उल्लास और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। हीरापुर हरी मंदिर एवं दुर्गा मंदिर परिसर में दशमी पूजा के पश्चात महिलाओं ने सिंदूर खेला की परंपरा निभाई। सुहागिन महिलाओं ने मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित कर एक-दूसरे की मांग में सिंदूर लगाकर उनके अखंड सौभाग्य और पतियों की दीर्घायु की मंगलकामना की। इस दौरान मंदिर परिसर में भक्ति और उत्सव का खास माहौल बना रहा।”सिंदूर खेला” बंगाल की एक प्राचीन परंपरा है, जो दशमी के दिन दुर्गा मां की विदाई से जुड़ी होती है। इसका उद्देश्य मां दुर्गा से आशीर्वाद लेकर वैवाहिक जीवन की खुशहाली और परिवार की समृद्धि की कामना करना है। महिलाएं लाल साड़ियों में सजी-धजी एक-दूसरे के साथ सिंदूर लगाकर उल्लासपूर्वक नृत्य करती रहीं।दूसरी ओर, घट विसर्जन का कार्यक्रम भी उत्साह और भक्ति के साथ सम्पन्न हुआ। बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग बांग्ला डीजे की धुन पर थिरकते हुए जुलूस की शक्ल में निकले। गाजे-बाजे और ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच श्रद्धालु स्थानीय तालाब पहुंचे और मां दुर्गा के कलश का विसर्जन किया। इस दौरान पूरा वातावरण “बोलो दुर्गा मां की जय” के जयघोष से गुंजायमान हो उठा।दशमी के दिन हुए इन अनुष्ठानों के साथ ही नौ दिनों तक चली दुर्गा पूजा का समापन हुआ। श्रद्धालुओं ने विश्वास जताया कि मां दुर्गा का आशीर्वाद उनके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लेकर आएगा।