सेवा कार्य से जीवन सार्थक होता है – गुरशरण प्रसाद संघ शताब्दी वर्ष पर सेवा कार्य विस्तार ही उत्सव है- प्रांत प्रचारक सेवा भारती,झारखंड का एक दिवसीय प्रांतीय साधारण सभा की बैठक स्वामी सहजानंद सरस्वती ट्रस्ट भवन, सहजानंद नगर, धनबाद में संस्था के उपाध्यक्ष अखिलेश्वर नाथ मिश्र की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन व संगठन मंत्र से हुआ। मंचीय परिचय स्वागत शशिभूषण सिंह ने किया। मौके पर प्रांतीय सचिव ऋषि पाण्डेय ने पूर्व बैठक की कार्यवाही का पठन किया एवं विगत सम्पन्न सेवा गतिविधियों की जानकारी दी। सचिव ऋषि पाण्डेय ने सेवा भारती का कार्य वृत्त बताते हुए कहा कि वर्तमान में शिक्षा – 277,स्वास्थ्य-38, स्वावलंबन- 1410,सामाजिक -16 सहित 1741 सेवा कार्य चल रहे हैं। संघ शताब्दी वर्ष पर 2500 सेवा कार्य करने का लक्ष्य रखा गया है। उद्घाटन सत्र में सेवा भारती,झारखंड का वार्षिक सेवा प्रतिवेदन का लोकार्पण किया गया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, झारखंड के प्रांत प्रचारक गोपाल शर्मा ने कहा कि संघ की 100 वर्ष की यात्रा पूर्ण हो रहीं हैं। संघ शताब्दी वर्ष पर कोई बड़ा कार्यक्रम,महोत्सव नहीं करना है। अपना कार्य विस्तार करना ही अपना उत्सव है। प्रांत के सभी प्रखंडों, नगरों व सेवा बस्तियों में सेवा कार्य खड़े करने है। दूसरे सत्र में सेवा भारती की जिला समिति सक्रियता व आय-व्यय विषय पर सामुहिक चर्चा की गई। मौके पर जिला के कार्यकर्ताओं ने कार्य वृत्त प्रस्तुत किया। अपने अपने कार्य क्षेत्र की उल्लेखनीय उपलब्धियों को सभा के समक्ष पेश किया। बैठक के समापन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सेवा भारती के न्यासी गुरुशरण प्रसाद ने कहा कि सेवा कार्य विस्तार के लिए अपने संपर्क का दायरा बढ़ाना होगा। हमें झारखंड के सभी पंचायतों तक सेवा कार्य लेकर जाना हैं। सेवाभावी व्यक्ति की खोज कर के सेवा कार्य से जोड़ना है। सक्षम समाज को दीनहीन समाज का परिदृश्य दिखा कर सेवा कार्य के लिए जागरूक करना है। सेवा में शक्ति है जो सेवा करने वाले के जीवन को सार्थक बनाता है और पीड़ित समाज का भी कायाकल्प हो जाता है। बैठक के अंत में धन्यवाद ज्ञापन शशिभूषण सिंह, धनबाद महानगर उपाध्यक्ष ने किया जबकि पूरे कार्यक्रम का सफल संचालन महानगर सचिव आलोक प्रकाश ने किया। इस प्रांतीय साधारण सभा की बैठक में विभिन्न जिलों से 112 प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही।