नई दिल्ली : भारत को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार CP Radhakrishnan ने आज हुए चुनाव में जीत दर्ज कर देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर कब्जा किया। संसद में हुए मतदान में राधाकृष्णन को भारी बहुमत मिला और विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को पराजित होना पड़ा।चुनाव परिणामउपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 781 सांसदों में से 766 ने मतदान किया। इनमें से 452 वोट सी.पी. राधाकृष्णन को मिले। विपक्ष के उम्मीदवार, पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को अपेक्षित समर्थन नहीं मिल सका। इस तरह एनडीए ने स्पष्ट बढ़त के साथ जीत हासिल की।राजनीतिक सफरसी.पी. राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में हुआ और उनका राजनीतिक जीवन भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा रहा है। वे 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। लंबे समय तक भाजपा के तमिलनाडु अध्यक्ष और संगठन से जुड़े रहे। उनका रिश्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी रहा है।पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद उन्हें संवैधानिक जिम्मेदारियों का अनुभव भी मिला। फरवरी 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। यहां उनके कार्यकाल को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। इसके बाद 31 जुलाई 2024 को वे महाराष्ट्र के राज्यपाल बने। राज्यपाल के रूप में उनके अनुभव ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में एक सशक्त उम्मीदवार बनाया।झारखंड से जुड़ावझारखंड के राज्यपाल रहते हुए राधाकृष्णन ने कई प्रशासनिक और जनहित के फैसले लिए। हालांकि, उनकी कार्यशैली को लेकर अलग-अलग राय रही—कुछ ने उनकी सक्रियता और जनता से जुड़ाव की सराहना की तो कुछ ने उनके कार्यकाल को औपचारिक बताया। झारखंड की जनता के लिए वे एक परिचित चेहरा हैं और इस राज्य का उनके राजनीतिक सफर में विशेष महत्व रहा है।जिम्मेदारियां और चुनौतियांभारत के उपराष्ट्रपति के रूप में राधाकृष्णन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी राज्यसभा के सभापति की होगी। उन्हें सदन की कार्यवाही निष्पक्ष और गरिमापूर्ण ढंग से संचालित करनी होगी। इसके साथ ही राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कर्तव्यों का निर्वहन करना भी उपराष्ट्रपति की भूमिका का हिस्सा है।वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में संसद में सरकार और विपक्ष के बीच अक्सर टकराव देखने को मिलता है। ऐसे माहौल में राधाकृष्णन के सामने सदन को सुचारू रूप से चलाना एक बड़ी चुनौती होगी। उनकी भूमिका विपक्ष और सरकार के बीच संवाद कायम करने और संसदीय परंपराओं को बनाए रखने में अहम होगी। राजनीतिक महत्वराधाकृष्णन की जीत एनडीए की मजबूत स्थिति और रणनीतिक कौशल का प्रतीक है। इस जीत से केंद्र सरकार को संसद के दोनों सदनों में बेहतर समन्वय स्थापित करने में मदद मिलेगी। उपराष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल न केवल संसद की कार्यप्रणाली बल्कि भारत की संवैधानिक व्यवस्था के लिए भी अहम साबित होगा।