
धनबाद:भारत विकास परिषद्, धनबाद मुख्य शाखा के तत्वावधान में एक दिवसीय संस्कार कार्यशाला का आयोजन अरनयाʼज़ बैंक्वेट हॉल:में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर परिषद् के राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, प्रांतीय एवं शाखा स्तर के प्रमुख पदाधिकारी एवं सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इस कार्यशाला का उद्देश्य समाज में संस्कार, संस्कृति एवं राष्ट्रीय चेतना के प्रचार-प्रसार को सुदृढ़ करना था।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। मुख्य अतिथियों ने भारत माता एवं स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की गरिमामयी शुरुआत की। इसके पश्चात समूह वंदे मातरम् का गायन हुआ। प्रमुख अतिथियों का तिलक बंधन श्रीमती आरोही जैन द्वारा किया गया, साथ ही अंगवस्त्र भेंट एवं स्वागत गीत द्वारा उनका अभिनंदन किया गया।शाखा अध्यक्ष किशन गोयल ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए शाखा की सक्रियता एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात संस्कार प्रमुख पंकज कुमार (धनबाद मुख्य शाखा) ने संस्कार टोली का परिचय देते हुए अब तक आयोजित कार्यक्रमों की संक्षिप्त रिपोर्ट साझा की। शाखा सचिव सुदीप चक्रवर्ती ने गत गतिविधियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।धनबाद नॉर्थ शाखा के अध्यक्ष पंकज मिश्रा ने भी स्वागत भाषण दिया और नॉर्थ शाखा की संस्कार टोली तथा उनके क्रियाकलापों की जानकारी दी। इसके बाद योगेंद्र तुलसीयान ने धनबाद मुख्य शाखा के पिछले 30 वर्षों में किए गए उल्लेखनीय कार्यों की जानकारी साझा की।कार्यक्रम के दौरान प्रमुख अतिथियों के करबद्ध उद्बोधन विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। राष्ट्रीय संस्कार प्रमुख मुकेश जैन, क्षेत्रीय महासचिव पूरण चंद्र खुटिया एवं उत्तर झारखंड प्रांतीय अध्यक्ष रामप्रवेश पाण्डेय ने संस्कार विषय पर अत्यंत प्रेरणादायक और मार्गदर्शी विचार प्रस्तुत किए।कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन संजय जैन द्वारा प्रस्तुत किया गया।इस कार्यशाला में प्रमुख रूप से दीपक रुईया, पवित्र तुलसीयान (कोषाध्यक्ष), सोमनाथ पुर्थी, संजय अग्रवाल, नितिन हरोड़िया, चेतन तुलसीयान, रमेश रिटोलिया,संदीप बुधिया, अनुराग बांका,आर. के. सूद, एम. के. सिंह, बी. बी. दत्ता, परेश ठक्कर, अजय रूंगटा, अजय प्रसाद, दीपक गुप्ता, पुष्कर माल डोकनिया, पावन गाड्या, अमित जैन, संघचालक अजय, कार्यवाह राकेश, विभाग सह कार्यवाह पंकज, अरुणा भगानिया, साधना सूद, बबिता जैन, सुधा रुईया, दीपा तुलसीयान उपस्थित हुए।यह कार्यशाला न केवल शाखा स्तर पर समन्वय और संगठन की दृष्टि से महत्वपूर्ण रही, बल्कि संस्कार, राष्ट्रप्रेम और सामाजिक उत्तरदायित्व* के संदेश को भी प्रभावशाली रूप से जन-जन तक पहुँचाने में सफल रही।