अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या इन दिनों भक्ति और श्रद्धा की मधुर ध्वनियों से गूंज रही है। बड़ा भक्तमाल महाराज की पावन छावनी में 50वां “साकेतोत्सव” बड़े ही भव्य और दिव्य आयोजन के साथ आरंभ हुआ।संत परंपरा की गौरवशाली विरासत का प्रतीक यह उत्सव इस बार स्वर्ण जयंती वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर छावनी परिसर को दीपों, पुष्पों और मनमोहक सजावट से सजाया गया है। हर दिशा में भक्ति का प्रकाश और श्रीराम नाम की गूंज वातावरण को आध्यात्मिक बना रही है।साकेतोत्सव का शुभारंभ आज वैदिक मंत्रोच्चारण और मंगलाचरण के बीच हुआ। शुभारंभ अवसर पर संत-महंतों, धर्माचार्यों और भक्तों की उपस्थिति में पूरा वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो उठा।कथा व्यास के रूप में जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी डॉ. राघवाचार्य जी महाराज ने भक्तमाल कथा का शुभारंभ किया। उनके मुखारविंद से निकली कथा की अमृतधारा ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।सिद्ध पीठ भक्तमाल कथा — भक्ति परंपरा का अमृतस्रोतकथा प्रतिदिन सायं 4 बजे से 7 बजे तक 26 अक्टूबर से 4 नवम्बर 2025 तक आयोजित की जा रही है। कथा के माध्यम से भक्तगण संत चरित्र, भक्ति परंपरा, और श्रीराम नाम की महिमा का श्रवण कर रहे हैं।श्रद्धालुजन देशभर से अयोध्या पहुंच रहे हैं। कथा स्थल पर बैठने के लिए विशेष पंडाल, भजन संकीर्तन के लिए मंच और भक्तों के लिए सेवा शिविरों की व्यवस्था की गई है।रामघाट स्थित बड़ा भक्तमाल की छावनी दीपमालाओं, पुष्पों और झिलमिल रोशनी से सुसज्जित है। संध्या समय पूरा परिसर स्वर्णिम आभा में नहाया हुआ प्रतीत होता है।भक्तों की भीड़ में भजन, संकीर्तन और जय श्रीराम के उद्घोष से पूरा क्षेत्र राममय बना हुआ है।छावनी परिसर में सत्संग, ध्यान-पूजन, हवन और भंडारा का आयोजन लगातार जारी है। प्रसाद वितरण और सेवा कार्यों में श्रद्धालु स्वयंसेवक पूरी तत्परता से जुटे हैं। साकेतोत्सव — भक्ति और एकता का प्रतीकसाकेतोत्सव का यह पचासवां वर्ष न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि अयोध्या की आध्यात्मिक चेतना का जीवंत प्रतीक बन गया है।भक्तमाल जी महाराज की प्रेरणा से प्रारंभ हुआ यह आयोजन आज देशभर के संतों, भक्तों और साधकों को एक सूत्र में बांधने वाला महोत्सव बन चुका है।अयोध्या में उमड़ा श्रद्धा का सागरसाकेतोत्सव के अवसर पर अयोध्या नगरी में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। हर ओर भक्ति रस, श्रद्धा और आध्यात्मिकता का वातावरण है।संतों के प्रवचन, भक्ति संगीत और कथा के माध्यम से श्रद्धालु अपने जीवन में धर्म, सेवा और सदाचार के मूल्यों को आत्मसात कर रहे हैं।साकेतोत्सव का यह स्वर्ण जयंती वर्ष संत परंपरा के संरक्षण और श्रीराम भक्ति की निरंतर धारा को जन-जन तक पहुँचाने का प्रेरक पर्व बन गया है। अयोध्या में इन दिनों हर प्रातः और संध्या, भक्ति और आनंद का अनोखा संगम दिखाई दे रहा है।