बोकारो : औपचारिक शिक्षा आज की परिस्थिति का एक हिस्सा मात्र है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीनी युग में जहां नौकरियों पर संकट है, ऐसे में कौशल-आधारित ज्ञान तथा शिक्षा की मौजूदा व्यवस्था में परिवर्तन अत्यंत आवश्यक है। बदलते समय की मांग के मुताबिक अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो आनेवाले समय में भारत में बेरोजगारों की फौज बढ़ती चली जाएगी। इस चुनौती पर विजय के लिए शिक्षा का पुनर्उन्मुखीकरण (री-ओरिएंटेशन) करने की नितांत आवश्यकता है। उक्त बातें झारखंड के महानिदेशक (रेल) अनिल पालटा ने कहीं। श्री पालटा शनिवार देर शाम डीपीएस बोकारो में विद्यालय के गंगा, जमुना व रावी सदन की ओर से आयोजित द्विवार्षिक सदनोत्सव ‘संगम’ को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बच्चे केवल पारंपरिक किताबी ज्ञान और घर में केवल मोबाइल और इंटरनेट पर ही सिमटे न रहें। कौशल-विकास पर ध्यान दें तथा केवल सकारात्मक उद्देश्यों के लिए ही मोबाइल का इस्तेमाल करें। बाह्य सक्रियता अत्यंत आवश्यक है और इस दिशा में अभिभावकों की भूमिका तथा विद्यालयों का सहयोग काफी अहम है। श्री पालटा ने बोकारो में अपने छात्र-जीवन के अनुभव साझा करते हुए एजुकेशन हब के रूप में बोकारो की प्रतिष्ठा तथा इसमें डीपीएस बोकारो की अग्रणी भूमिका को रेखांकित किया। हालांकि, उन्होंने बोकारो में प्लस टू के बाद महाविद्यालय स्तर की अच्छी पढ़ाई तथा उच्चतर शिक्षा की कमी के कारण छात्रों के पलायन पर चिंता भी व्यक्त की। सांस्कृतिक विरासत विषयवस्तु पर आयोजित इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने अपनी मनोहारी रंगारंग प्रस्तुतियों के जरिए भारत की कलात्मक व सांस्कृतिक विविधता की बहुरंगी छटा बिखेरी। मुख्य अतिथि श्री पालटा ने विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों को सराहते हुए और उनके समग्र विकास की दिशा में डीपीएस बोकारो की ओर से किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।