धनबाद: शिल्पे अनन्या त्रैमासिक बंगला पत्रिका जो झारखंड से प्रकाशित एकमात्र सुप्रसिद्ध रजिस्टर्ड त्रैमासिक बांग्ला पत्रिका है , इसके 73 वें अंक का विमोचन शिल्पे अनन्या त्रैमासिक बंगला पत्रिका का कार्यालय विभूति अपार्टमेंट में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता पत्रिका के संपादक प्रोफेसर (डॉ.) दीपक कुमार सेन के द्वारा किया गया । उन्होंने कहा कि हमें अत्यंत हर्ष है कि वर्ष 1977 से लगातार प्रकाशित होने वाली यह पत्रिका आज भी अपनी गौरवपूर्ण यात्रा जारी रखे हुए है। इस पत्रिका में देश के प्रतिष्ठित बांग्ला लेखक, शोधकर्ता और बांग्ला भाषा के प्राध्यापक निरंतर योगदान देते आ रहे हैं।उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले समय में शिल्पे अनन्या त्रैमासिक बंगला पत्रिका और रांची विश्वविद्यालय के बंगला विभाग द्वारा संयुक्त रूप से एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। पत्रिका के 75 वें अंक के विमोचन समारोह में देश के सुप्रसिद्ध विद्वानों के शामिल होने की संभावना है।इस अंक में अनेक शोधकर्ताओं, कवियों, कथाकारों और लेखकों के लेख एवं रचनाएँ शामिल हैं, जिनकी चर्चा बंगाल, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, मेघालय और त्रिपुरा के बुद्धिजीवियों के बीच हो रही है। शिल्पे अनन्या त्रैमासिक बंगला पत्रिका के परामर्शदाता समिति के सदस्य तथा भारत ज्ञान-विज्ञान समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. काशी नाथ चटर्जी ने कहा कि इस पत्रिका से उन्हें बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला है। आजादी की लड़ाई और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बंगाल रहा है और आज भी बंगाल के कोने-कोने में अनेक शोधकर्ता सक्रिय हैं, जिनसे निरंतर सीखने को मिलता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हाल ही में मुर्शिदाबाद के प्रतिष्ठित बासभूमि अवॉर्ड में प्रोफेसर (डॉ.) डी.के. सेन को अध्यक्षता का अवसर मिला और डॉ .काशी नाथ चटर्जी मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गए। यह सम्मान वास्तव में शिल्पे अनन्या त्रैमासिक बंगला पत्रिका की प्रतिष्ठा का प्रतीक है।