
धनबाद:मेवाड़ ग्रुप ऑफ युनिवर्सिटीज के संस्थापक व चेयरमैन डॉ अशोक कुमार गाड़िया के लिए शिक्षण संस्थान समाज सेवा का माध्यम हैं। इनका मकसद दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, गरीब व वंचित समाज के मेधावी छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के द्वार खोलना है। इसपर सिर्फ अमीर घरों के बच्चों का एकाधिकार नहीं होना चाहिए। इससे एक भेदभाव पूर्ण सामाजिक ढांचे का निर्माण होगा। यह कहीं से राष्ट्र और समाज के हित में नहीं होगा। मंगलवार को होटल कुकुन में प्रेस वार्ता आयोजित कर संवादाताओं को संबोधित करते हुए डॉ. गाड़िया ने बताया कि उनके संस्थानों में 80 प्रतिशत से ज्यादा अंक पाने वाले वंचित समाज के बच्चों को वस्त्र, आवास और भोजन की मुफ्त सुविधा के साथ इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट जैसे कोर्सों की निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया जाता है। उन्हें रोजगार तक दिलाने का दायित्व संस्थान का होता है। कहा कि शिक्षा उनके लिए व्यवसाय नहीं हैं। वे देश के विख्यात चाटर्ड एकाउंटेंट और कर संबंधी मामलों के विशेषज्ञ हैं। केंद्र और राज्य सरकारें कर प्रणाली में उनसे परोक्ष अथवा प्रत्यक्ष सलाह लेती हैं। नीति निर्धारण में भी उनका योगदान रहता है। देश के बड़े-बड़े व्यावसायिक घरानों के संस्थानों के ऑडिट का काम उनकी चाटर्ड एकाउंटेसी कंपनी के जिम्मे है। उनकी आय का जरिया यही है।शिक्षण संस्थानों की स्थापना का उनका मकसद सिर्फ समाज सेवा है। मेधावी छात्र चाहे जम्मू-कश्मीर के दूरस्थ इलाकों के हों या छत्तीसगढ़-झारखंड जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों के, वे उन्हें स्वयं ढूंढ-ढूंढकर अपने संस्थानों में लाते हैं और इच्छित विषय की शिक्षा प्रदान करते हैं, वे सशक्त होते हैं तो समाज के कमजोर वर्गों के परिवारों का सशक्तीकरण होता है।वे शिक्षण व्यवस्था के खर्च की भरपाई सामाजिक संस्थाओं, सरकारी योजनाओं और व्यक्तिगत धन के जरिए करते हैं। कई बार ऐसे मौके आए हैं जब वे करोड़ों के कर्ज में डूब गए लेकिन छात्रों के शिक्षण में कोई अवरोध नहीं आने दिया। शिक्षा व्यवस्था के प्रति उनके विचार एक नए संतुलित समाज के निर्माण की दिशा में हैं और वे धीरे-धीरे उसे अमली जामा पहनाने का काम कर रहे हैं। आर्थिक कमजोरी प्रतिभाओं के विकास में बाधक न बनें, एक शिक्षाविद के रूप में यही उनकी चुनौती है। डॉक्टर गाड़िया ने बताया कि यूनिवर्सिटी में कुल 2000 छात्र हैं जिसमें 450 विदेशी छात्र हैं। 500 लड़कियों के लिए दो ब्लॉक में हॉस्टल हैऔर झारखंड के 18 जिलों के 167 बच्चे अभी वहां पढ़ रहे हैं। होटल कुकून में डॉक्टर गाड़िया को समाजसेवी दिलीप सिंह ने अंग वस्त्र ओढ़ाकर एवं पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया।